इंटरनेट के जवाने मे, सोशल मीडिया की दुनिया मे, खुद को distractions से बचाना बहूत ही मुस्किल हो चुका है। सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते करते घंटों कब बीत जाता है किसी को पता ही नहीं चलता। दोस्त से चैटिंग करते करते घंटों कब निकल जाते है मालूम ही नहीं चलता है। हर तरफ से distractions ही distractions. पढ़ो तो भी notifications, social media चेक करने का डिस्ट्रैक्शन, यूट्यूब पर कोई Educational, Motivational Video देखो तो भी Suggestions मे Comedy video का distraction. दूसरों का lifestyle को देखकर distract होना की हमारी क्यों ऐसी नहीं है, Negative News सुन कर डिस्ट्रैक्ट होना। Smartphone न चलाओ तो भी डिस्ट्रैक्शन और smartphone चलाओ तो भी डिस्ट्रैक्शन। पर क्या जबसे इंटरनेट, सोशल मीडिया का जमाना आया है तभी से लोग distracted होना शुरू हुए हैं।
नहीं ! जब सोशल मीडिया, इंटरनेट का जमाना नहीं था तब भी लोग डिस्ट्रैक्ट हो जाते थे लेकिन पहले का डिस्ट्रैक्शन लेवल आज के डिस्ट्रैक्शन लेवल से बहूत जादा कम था। पर एक सवाल यहा पर यह भी उठता है की क्या हम लोगों के ditraction का पूरा का पूरा कारण सोशल मीडिया, इंटरनेट है। इस सवाल का जवाब जानने से पहले हमे ये जानना होगा की हम सब किसी चीज से डिस्ट्रैक्ट होने से पहले हम खुद ही खुद को डिस्ट्रैक्ट करते हैं। एक बायर फिर से मैँ रीपीट कर रहा हूँ हम सब किसी चीज से, Social Media , इंटरनेट से बाद मे डिस्ट्रैक्ट होते है उससे पहले हम खुद को ही डिस्ट्रैक्ट करते है। लेकिन कैसे ?
हम डिस्ट्रैक्ट कब नहीं होतें है?
इसे दो example से समझते है । पहला- मान लीजिए आपके किसी बहूत करीबी का accident हो गया भगवान न करे कभी ऐसा हो और तभी आपके दोस्त का काल आया। वह कहता है यार घर पर बहूत बोर हो रहे है, चल कही घूमने चलते है, किसी पार्टी मे चलते है। उस situation मे क्या आप उसे छोड़कर जिसका एक्सीडेंट हो गया है, अपने दोस्त के साथ गुमने, पार्टी मे चले जाओगे कभी नहीं। क्यो? क्योंकि उस situation मे आपका दिमाक आपको डिस्ट्रैक्ट ही नहीं होने देगा आपका पूरा focus उस एक्सीडेंट पर होगा न की घूमने पार्टी मे जाने पर। कोई चाह कर भी आपको उस situation मे distract नहीं कर सकता है।
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हम डिस्ट्रैक्ट कब होतें है?
अब दूसरा example:- मान लेते है आप कोई काम कर रहे हो, या आप बहूत मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हो तभी आपके दोस्त का काल है वह कहता है क्या कर रहा है तू?
आपने बोला कुछ नहीं बस पढ़ रहा हूँ अब वह कहता है की यार तू कैसे पढ़ाई कर रहा है बोर नहीं हो रहा है? जैसे ही आपके दोस्त ने यह बोला आप तुरंत सोचने लगे की हा यार बोर तो मैँ भी हो रहा हूँ फिर आप अपने दोस्त से कहते हो क्या करू यार और कर भी क्या सकते हैं ।
फिर आपका दोस्त कहता है फिर चल यार कही घूमने चलते है। और आप पढ़ना लिखना बंद कर देते हो और घूमने चले जाते हो। अब इस situation मे ये सोचने की मत गलती करना की आपके दोस्त ने आपको डिस्ट्रैक्ट किया नहीं। आपने खुद अपने आप को distract किए। जब आपके दोस्त ने आपके पास काल नहीं किया था तब तक तो आप मन लगाकर काम पढ़ रहे थे लेकिन जैसे ही उसने काल करके आपसे घूमने की बात की आपका mind तुरंत घूमना imagine करने लगा। अब जैसे ही आपने घूमना imagine किए आपको लगने लगा की अभी के लिए घूमना जरूरी है क्योंकि मैँ बोर हो रहा हूँ। और आप तुरंत डिस्ट्रैक्ट हो गए। क्या कोई ऐसा situation था जब आप डिस्ट्रैक्ट ना होंते। Yes, अगर आपने घूमने को जादा importance न देकर जो आप कर रहे थे यानि की पढ़ाई को importance दिए होंते नहीं मुझे पढ़ना है घूमने से क्या मिलेगा या कुछ भी तो कोई भी आपको डिस्ट्रैक्ट नहीं कर पाता फिर चाहे वह आपके दोस्त का call ही क्यों न हो।
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डिस्ट्रैक्शन से कैसे बचे?
अब अगर आप इन दोनों situations को ध्यान से Observe करेंगे तो आपको पता लगेगा की आप किसी भी चीज से बाद मे distract होते हैं उससे पहले आपका दिमाक आपको distract करता है। पहले situation मे आप distract क्यों नहीं हुए क्योंकि आपका दिमाक उस situation मे Accident को importance दिया ना की घूमने जाने को लेकिन दूसरे situation मे आप distract क्यों होगए क्योंकि आपके दिमाक ने पढ़ने से जादा importance घूमने को दिया।
तो distraction से बचने का सबसे practical और सबसे महत्वपूर्ण तरीका है अपने दिमाक को कंट्रोल करना। याद रखना आपको अपने मिंडी पर कंट्रोल करना है ना की आपका दिमाक आपको कंट्रोल करे क्योंकि जब्तक आपका दिमाक आपको कंट्रोल करेगा तब तक वह decide करेगा की आप कब ditracted होंगे और कब नहीं ।