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Success Story Of Soichiro Honda: एक मकैनिक ने कैसे बनाया Honda Motors को विश्व विख्यात | सोईचिरों होंडा की सफलता की कहानी

Honda आज Automobile के Industry मे काफी बड़ा और Famous नाम है, दुनियाभर के सबसे अच्छे Automobile Companies मे से एक है। लोगो का यह कंपनी काफी जादा चहीता भी है। पर क्या आप जानते है होंडा की शुरुआत एक गरीब लोहार ने की थी पर कैसे?

चलिए जानते है होंडा Motors के मालिक सोईचिरों होंडा की एक मकैनिक से दुनिया भर मे प्रसिद्ध होंडा Motors को बनाने तक की काफी जादा मुसीबतों से भरी कहानी। जैसे हर एक कंपनी का बनने का अपना अलग अलग सफल होता है, इरादा होता है, संघर्ष होता है वैसे ही Honda Company का कहानी भी काफी जादा अलग और Inspiring है। सोईचिरों होंडा का सफर बहूत ही मुसकीलों, मुसीबतों से भरा रहा था।

शुरुआती जीवन

कंपनी बनाने तक की कहानी

होंडा मोटर्स  के मालिक सोईचीरों होंडा (Soichiro Honda) का जन्म 1906 मे जापान के एक छोटे से गावं सिजुओका मे हुआ था। इनके पिता गिहेइ होंडा एक छोटे गरीब लुहार थे जिसके साथ-साथ वो खराब, बेकार साइकिल बनाया करते थे। गिहेइ होंडा के बेटे सोईचीरों को बचपन से ही अवजारो से खेलने काबहूत जादा पसंद था। जब वो स्कूल जाने के लायक हुए तो उनका स्कूल मे Admission करवा दिया गया लेकिन इनका पढऩे-लिखने में कोई मन नहीं लगाता था। कक्षा मे वो सबसे पीछे बैठते थे ताकि कही टीचर उनसे सवाल न पूछने लगे। इनका मन पिता जी के काम मे हाथ बताने मे लगता था। घर पर भी पढ़ाई का माहौल कुछ खास नहीं था, इसलिए 16 साल की उम्र में ही इन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। पिता के काम मे बचपन से हाथ बटाते बटाते इन्होंने काफी कुछ मैकेनिकल काम सीख लिया था।

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साफ सफाई का काम करते थे

एक दिन इन्होंने अखबार मे देखा शोकाई कंपनी मे मकैनिक की जरूरत है तो वह शोकाई कंपनी मे काम करने के लिए गए और उन्हे ‘शोकाई’ कार कंपनी में काम तो मिल गया लेकिन उनकी छोटी उम्र को देखते हुए केवल साफ-सफाई का काम ही मिला पर वो  इस काम से बिल्कुल भी खुश नहीं थे फिर इनके दिमाक मे idea आया की यही सही मौका मकैनिक का और अच्छे तरीके से काम सीखने का, समझने का। उसके बाद से वो  छिपकर मैकेनिकों को कार की रिपेरिंग करते हुए देखा करते थे हालाकी साथ ही वो अपना साफ सफाई का काम भी बहुत मेहनत से किया करते थे।

फिर एक दिन सोइचिरो होंडा ने शोकाई कार कंपनी के मालिक से काम सीखने का Request किया तो उन्हें काम सीखने के लिए कंपनी ने अपने दूसरी ब्रांच में भेज दिया गया। सोइचिरो काफी जादा मेहनती थे जिससे उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से बहुत जल्दी काम सीख गए , उसके कुछ समय बाद उन्होंने शोकाई कंपनी को छोड़कर दूसरे कंपनियों के लिए सस्ते और टिकाऊ पिस्टन रिंग्स बनाने के लिए अपनी पूरी की पूरी पूंजी लगाकर टोकिसीकी नाम की कंपनी बनाई।

World War-2 मे पूरी कंपनी जलकर राख हो गई थी

अपनी पिस्टल रिंग्स को बेचने के लिए इन्हों काफी मेहनत के बाद टोयोटा कंपनी में पिस्टन रिंग सप्लाई का मौका मिला। पर सही Quality न होने  के कारण टोयोटा ने अपना कॉन्ट्रेक्ट तोड़ा दिया। world war 2 में इनकी पूरी फैक्टरी जल गई थी। लेकिन इन्होंने खुद को बिखरने नहीं दिया, खुद को टूटने नहीं दिए, फिर बचे हुए कंपनी के शेष Parts को उन्होंने  टोयोटा को बेचकर 1946 में Honda Technical Research Institute खोला। फिर एक छोटी सी जगह पर 12 लोगों के साथ नई शुुरुआत की। World War 2 के बाद जापान में बहूत नुकसान हुआ था जिससे लोग पैदल या साइकिल पर चलने लगे थे।

एक Idea ने बदला किसमत

इन सारी समस्या को देखकर इन्हे और इनकी टीम को एक Idea आया इन्होंने  एक छोटा इंजन बनाकर साइकिल से जोड़ दिया।उनका यह Idea लोगों को बहूत ही जादा पसंद आने लगा और  बहुत ही कम समय में उनकी कंपनी मोटरसाइकिल के Industry में बड़ा नाम बन गई थी।

बाद मे साल 1949 मे इन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदल कर Honda Motors कर दिए। 1980 में इन्होंने कार बनाने के लिए कदम रखा। देखते ही देखते Quality के कारण उनकी कारें अमरीकी कारों को टक्कर देने लगी और धीरे धीरे होंडा Motors अपने Best Quality Products के कारण पूरी दुनिया मे विख्यात हो गया। और तब से लेकर आजतक Honda Motors Industry मे अपना एक अलग ही रुतबा बनाया हुआ है।

सोईचिरों होंडा की सफलता की कहानी

ये थी एक लुहार के बेटे सोईचीरों होंडा की एक मामूली से मकैनिक से होंडा Motors को शिखर तक ले जाने की कहानी। हालकीं इनके जिंदगी मे काफी जादा परेशानियाँ आई, रुकावते आई पर वो उससे घबराए नहीं। हम सभी को सोईचीरों होंडा से सीखनी चाहिए की जिंदगी मे हालत कितने भी बुरे क्यों न हो हमे हिम्मत नहीं खोंनि चाहिए, प्रयास करते रहना चाहिए, फिर चाहे जिंदगी मे सब आपके खिलाब क्यों न हो बस अपने ऊपर और अपने काम पर भरोषा रखना आज नहीं तो कल जीत आपकी जरूर होगी।

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