एक बार एक लड़का महात्मा गौतम बुद्ध जी के पास आकार कहा की महात्मा जी एक दिन मेरे किसी करीबी मे मुझे एक काम करने को दिया लेकिन मैँ उस काम को नहीं कर पाया तो उन्होंने मुझसे कहा है तू किसी काम का नहीं है, तू एक काम भी ढंग से नहीं कर पाता है, तेरी जिंदगी मे कोई कीमत नहीं है, तू जिंदगी मे कुछ नहीं कर सकता हैं, वही दूसरी तरफ मेरे पिता जी ने मुझे एक रिस्क भरा काम करने को दिया और मैँने सफलतापूर्व उस काम को कर दियाँ तो मेरे पिता जी ने मेरी तारीफ करी, उन्होंने कहा की मुझे पूरा विश्वास था की तुम इस काम को कर दोगे, मुझे पूरा यकीन है की तुम अपने जिंदगी मे बहूत कुछ हासिल करोगे, तुम्हारी पूरी दुनियाँ मे बहूत कीमत होगी, फिर उस लड़के ने कहा की अब मैँ अपने ऊपर बहूत doubt करने लगा की की क्या मेरी जिंदगी की कोई कीमत है या नहीं। महात्मा जी क्या आप बाटा सकते है की जिंदगी की कीमत क्या हैं?
महात्मा गौतम बुद्ध जी ने उस लड़के को एक पथर देते हुए कहा की अगर तुम अपनी जिंदगी की कीमत जाना चाहते हो तो इस पत्थर को लेकर बाजार जाओ और इसकी कीमत पता कर के आओ लेकिन ध्यान रखना की तुम्हें इस पत्थर को बेचना नहीं है अगर तुमसे कोई इस पत्थर का कीमत पूछे तो तुम केवल अपनी दों उंगुलियाँ उन्हे दिखा देने और अगर वह कुछ कहे तो बस सुनकर चले आना।
अब वह लड़का सोचने लगा की भला इस पत्थर का क्या दाम होगा, इसे कौन खरीदेगा, लेकिन फिर वह लड़का उस पथर को लेकर बाजार मे एक संतरे बेचने वाले को उस पत्थर को दिखाकर पुच क्या आप इसे खरीदोगे। तो संतरे वाले ने कहा भला पत्थर कौन खरीदता है अगर मैँ इसे तुमसे खरीदकर बेचू तो मुझे फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगा लेकिन अबागल आलू बचने वाले ने उस पत्थर को देखा और उसने लड़के से उस पत्थर का कीमत पूछा तो लड़का ने कुछ नहीं बोला बस अपनी दो उंगुलियाँ खड़ी कर दी- आलू बेचने वाले ने कहा अच्छा इसका कीमत 200 है चलो मैँ तुम्हें एक बोरी आलू देता हूँ तुम मुझे यह पत्थर दे दो। गुआतं बुद्ध जी जैसा कहा था वैसे नहीं उस लड़के ने किया उसने उस पत्तर का दाम पता करके गौतम बुद्ध जी के पास जाकर पूरी बात बताया । गौतम बुद्ध जी उस लड़के की पूरी बात सुन लिए
और उसे फिर से पहले की तरह उस पत्थर को लेकर उसे म्यूजीयम मे उस पत्थर का कीमत पता करने के लिए भेज दिए- लड़का पथर को लेकर एक म्यूजियम मे पहुच गया वहा पर एक व्यक्ति की नजर उस लड़के के हाथ मे पड़े पत्थर पर पड़ी उसने उस लड़के से पत्थर का कीमत पूछा तो लड़के ने पहली बार की तरह फिर से केवल अपनी दो उंगुलियाँ खड़ी कर दिया- फिर उस व्यक्ति ने कहा अच्छा इस पथर का कीमत 20,000 है। ठीक है! तुम मुझसे 20,000 ले लो और उसके बदले मे मुझे यह पत्थर दे दो। लड़के ने उस व्यक्ति से कहा खा मुझे माफ कर दीजिए मैँ आपको यह पत्थर नहीं दे सकता मेरे गुरु जी ने केवल इस पत्थर का किमात पता करने के लिए कहा है। वह लड़का व्यपास गौतम बुद्ध जी के पास आकार सारी बात बता दिया।
गौतम बुद्ध जी ने फिर से उस लड़के को पत्थर को लेकर एक सुनार के दुकान पर उस पत्थर की कीमत पता करने के लिए भेज दिए। लड़का एक बड़े से सुनार की दुकान पर जा पहुचा और वहा सुनार को पत्थर दिखाया। सुनार ने पत्थर का कीमत पूछा तो लड़के ने पिछली बार की तरह अपनी दो उंगुलियाँ खड़ी कर दिया – सुनार ने कहा वोह ! इस पत्थर का कीमत 2,00,000 रुपये हैं कोई बात नहीं मैँ तुमसे यह पत्थर दो लाख मे खरीदने के लिए तैयार हूँ क्या तुम मुझे यह पत्थर 2,00,000 मे बेचोगे। लड़का पत्थर का कीमत दो लाख सुनकर हैरान हो गया और वह तुरंत वापस गौतम बुद्ध जी के पास जाकर सारी बातें बता दिया
फिर गौतम जी ने कहा ठीक है अब तुम आखिरी बार इस पत्थर को लेकर एक जौहरी के पास जाओ। लड़का पत्थर को लेकर जौहरी के पास गया। जैसे ही लड़के के हाथ मे जौहरी मे पत्थर देखा उसने लड़के के हाथ से पत्थर अपने हाथ मे लेकर उसे अपने सिर से लगा लिया और लड़के से कहा ये पत्थर तुम्हें कहा से मिल यह बेस्कीमती रूबी है। इसका कीमत मई क्या, कोई इसकी कीमत नहीं चुका सकता है यह सुनते ही लड़का एक दम हैरान हो गया। उसे कुछ समझ मे नहीं आ रहा वह सोचने लगा की कैसे कोई एक मामूली से पत्थर के पीछे इतना पागल हो सकता है, कैसे कोई एक पत्थर के लिए 200 देने को तैयार है, तो कोई 20,000 देने को तैयार है, तो कोई 2 लाख देने को तैयार है और कोई कह रहा है की इसका कीमत कोई नहीं चुका सकता। लड़का तुरत उस पत्थर को लेकर भागते भागते गौतम बुद्धह जी के पास पहुच और एक सास मे पूरी घटना बाता दिया।
गौतम बुद्ध जी हसने लगे, उहोने कहा अभी तक तुम जिंदगी की कीमत नहीं समझे- इंसान के जिंदगी का कीमत अमूल्य है हर किसी के अंदर कोई ना कोई खासियत होती है लेकिन हर कोई इसे समझ नहीं पाता है । जैसे उस पत्थर का कीमत आलो वाले ने 1 बोरी आलू समझ, म्यूजियम वाले व्यक्ति ने 20,000 समझ, सुनार ने 2,00,000 समझ और वही जौहरी ने उस पत्थर को बेस्कीमती समझा वैसे ही भले ही तुम हीरे हो तुम्हारी कीमत अमूल्य हो पर जरूरी तो नहीं की हर सामने वाला जौहरी ही हो। सामने वाला इंसान तुम्हारी कीमत अपनी औकात, अपनी जांकरी के अनुसार लगाएगा। तुम्हारी कीमत इस बात से पता चलती है की तुम अपने आप को खा रखते हो। अब तुम्हें तय करना है की तुम 200 रुपये का पत्थर बना चाहते हो, 2,00,000 का या फिर बेस्कीमती रूबी बनना चाहते हो।