ये KYC क्या होता है? जहा भी देखो बस ईसी का चर्चा होता रहता है। बैंक मे जाओ तो भी लोग KYC कराने के लिए लाइन मे लगे होते है। सहज जन सेवा केंद्र पर जाओ वहा पर भी लोग केवाईसी कराने के लिए भीड़ लगाए होते है। लोन के लिए आवेदन करो तो भी केवाईसी का नाम सुनने को मिलता है, नया बैंक खाता खुलवावो तो भी केवाईसी कराने पड़ता है। और तो और नए सिम लो तो भी केवाईसी कराना पड़ता है। इतना बायर केवाईसी का नाम सुनते सुनते आपके मन मे यह सवाल जरूर आया होगा की यह केवाईसी क्या होता है? और केवाईसी कराना क्यों जरूरी है?
KYC क्या है? KYC Meaning in Hindi
KYC का Full Form यानि की केवाईसी का मतलब (Know Your Customer) या फिर (Know Your Client) होता है। अपने कस्टमर के बारे मे पूरी जानकारी जाने को ही केवाईसी कहते है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे बैंक, कंपनियां अपने कस्टमर की पहचान और उसके पते की को सुनिश्चित करते हैं। या फिर अपने कस्टमर के पहचान को verify करता है की वह कौन है? उसका नाम क्या है, वह कहा रहता है? इत्यादि। KYC का इस्तेमाल सबसे जादा किसी भी तरह के फ्रॉड से बचने के लिए कीया जाता है। जब आप कोई नया सिम लेते है तो जब आपकी पहचान के लिए आपका आधार verify कीया जाता है इस प्रोसेस को भी KYC कहते हैं।
KYC सन 2002 मे भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए लॉन्च किया गया था। और इसे 2005 तक हर एक कस्टमर के लिए कराना अनिवार्य कर दिया भी गया था। आज के समय मे बैंक के साथ साथ और तरह तरह के अनलाइन बिजनस के लिए भी अप्लाइ होता है।
अगर हम KYC को निवेश क्षेत्र मे देखे तो बिना अपना KYC कराए आप निवेश करना नहीं शुरू कर सकते है। अगर आप म्यूचूअल फंड मे, स्टॉक्स मे, फिक्सड डेपोजिट मे, बैंक मे निवेश करना चाहते है तो उससे पहले आपको KYC करना अनिवार्य है। जब आप पहली बार निवेश करना शुरू करते हैं तो आपको केवल एक बार ही KYC करना होता है।
इतना ही नहीं आप बिना KYC के खाता भी नहीं किसी बैंक मे खुला सकते है। बैंक मे खाता खुलाने के लिए आपको KYC कराना अनिवार्य होता है। KYC से पता चलता है की कोई बैंकिंग या कोई और सर्विसेज़ का गलत इस्तेमाल या फ्रॉड तो नहीं हो रहा हैं न ।
अगर कोई यूजर केवाईसी कराना चाहता है तो उसे केवाईसी फॉर्म के साथ साथ अपनी पहचान (POI) प्रूफ और अपने पते का (POA) प्ररोफ भी साथ मे देना होता है। अगर हम बात करे की पहचान प्रूफ मे कौन कौन से document आते है तो जैसे आधार कार्ड, पहचान पत्र और पैन कार्ड है। वही अगर पते के प्ररोफ के बारे मे बात करे तो इसके लिए address proof,और जादा तर आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है।
जब किसी भी यूजर का बैंक मे या किसी और संस्था मे उसका केवाईसी पूरा हो जाता है तो फ्रॉड के chances बहूत ही कम हो जातें है। बैंक केवाईसी फॉर्म मे आपको अपना पूरा नाम, आधार नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, मोबाईल नंबर, अपना पूरा पता और अगर आपके पास पैन कार्ड है तो उसका नंबर भी केवाईसी फॉर्म मे सही-सही भरना होता है। जिससे बैंक को आपके बारे मे सारी जानकारियाँ मिल जाती है।
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